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Peppermint Farming: यूपी में शुरू हुई मेंथा की खेती, 3 महीने में मिलेगा लाखों का मुनाफा, हरे सोने के नाम से है मशहूर

时间:2023-11-30 14:50:34 来源:网络整理编辑:आज का ताजा न्यूज़

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यूपी के बाराबंकी में हरे सोने के नाम से मशहूर मेंथा की खेती शुरू हो गई है. 3 महीने की फसल में कम निव

यूपी के बाराबंकी में हरे सोने के नाम से मशहूर मेंथा की खेती शुरू हो गई है. 3 महीने की फसल में कम निवेश से बड़ा मुनाफा मिलता है. मेंथा का तेल पिपरमिन्ट के नाम से भी जाना जाता है. जिसके तेल की डिमांड देश के अलावा विदेशों में बहुत है,यूपीमेंशुरूहुईमेंथाकीखेतीमहीनेमेंमिलेगालाखोंकामुनाफाहरेसोनेकेनामसेहैमशहूर जिसका इस्तेमालदवाओं में किया जाता है. बाराबंकी ज़िला मेंथा की खेती का बड़ा केंद्र बन गया है. जिले में 90 हजार हेक्टयर में इस वक्त मेंथा की खेती हो रही है.किसानों की आय दोगुना करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं. उन्हें पारंपरिक खेती के साथ नए विकल्पों को चुनने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी कारण से किसानों के बीच औषधीय पौधों की खेती करने का प्रचलन बढ़ रहा है. इनकी मांग दुनिया भर में रहती है और उत्पादन कम है, इसलिए अच्छा दाम मिलता है.मेंथा की खेती करने वाले किसान मुनाफे में है. इसके तेल का भाव एक हजार रुपये से ज़्यादा है. हरख ब्लाक के वजुउदद्दीनपुर निवासी किसान राम किशोर वर्मा ने बताया कि मेंथा की बुआई मार्च के द्वितीय सप्ताह से शुरू हो जाती है. जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक मेंथा की फसल काटकर उससे तेल निकाल लिया जाता है. उन्होंने बताया कि मेंथा की एक एकड़ की फसल मे लगभग 15 हजार का खर्च आता है. वहीं, उन्होंने बताया कि मौसम के हिसाब से एक एकड़ मे 40 से 50 किलोग्राम तक तेल निकलता है. वहीं अगर बारिश हो गयी तो तेल की मात्रा घट जाती है.वहीं, ग्राम महदूद निवासी राजेश कुमार ने बताया कि मेंथा की फसल पूरी तरह मौसम पर निर्भर है. अगर मौसम ठीक हो तो एक एकड़ मे 60 किलो तक मेंथा आयल निकल सकता है, लेकिन अगर पेराई के समय बारिश हो जाती है तब किसान को नुकसान उठाना पड़ जाता है और लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि नगदी फसल होने के चलते क्षेत्र के किसान मेंथा की खेती करते है.दवा से लेकर ब्यूटी प्रोडक्ट और खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल होने वाले मेंथा ऑयल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक है.जिले के कई हिस्सों में फरवरी से लेकर अप्रैल मध्य तक इसकी रोपाई होती है. जून में फसल तैयार होकर कटने लगती है.जून तक तैयार होने वाली इस फसल से अमूमन एक बीघा मेंथा में करीब 12-15 किलो तक मेंथा आयल निकल आता है. जो अच्छा मुनाफा देता है. जिले के मसौली, शाहवपुर, फतेहपुर, बदोसराय, कुर्सी कस्बे में मेंथा आयल की खरीद एवं क्रिस्टल तैयार करने के कई प्लांट स्थापित हैं.मेंथा मुख्य रूप से यूरोपीय पौधा है. लेकिन अब भारत भी इसका मुख्य उत्पादक देश बन गया है. पूरी दुनिया में मांग और इस्तेमाल बढ़ने से यह किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प बन गया है. मेंथा का ठंडी चीजों में इस्तेमाल किया जाता है. इससे पिपरमिंट, दर्द निवारक दवाइयां और मलहम बनता है. आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.